प्रार्थना का महत्व _
सभी धर्मो में प्रार्थना का बहुत महत्व है. प्रार्थना वह राजमार्ग है जो हमें परमपिता के और नजदीक ले जाता है. असल में हम प्रभु संतान होने के कारण, उनके प्रिय तो है पर कभी कभी हम अपने वास्तविक रूप से अलग हो जाते है. महात्मा गाँधी कहते है कि श्रद्धा से मनुष्य जो रोगमुक्त हो उसका रहस्य यही है कि ईश्वर जिसकी भक्ति हम करते है स्वय सत्य, स्वस्थ्य, और प्रेम है. और वोह तो वैद भी है, इसीलिए रामनाम का आश्रय लेने से हर प्रकार के रोग शोक के दूर होने में देर नहीं लगा हमारे दर्शन शास्त्रों , में या फिर धर्म शास्त्रों में इसके अनेक प्रमाण उपलब्ध है. अनेक रोगो का इलाज रामनाम चिकित्सा या प्रार्थना से किया गया हैँ प्रार्थना द्वारा परमात्मा के चरण कमलो में आश्रय लेने से रोग, शोक, विपत्ति , सबसे छुटकारा मिल जाता है. उस समय हमें बोध होता है जो कुछ बुरा भला हो रहा है, वह ईश्वर की इच्छा से हो रहा है. यह सारी चीजे हमारी भले के लिए हो रहा है. केवल इस प्रकार की अनुभूति से ही पूरी शांति प्राप्त हो जाती है. इसीलिए जब कभी मन उद्विग्न हो , बेचैनी हो, खुद से भरोसा उठने लगे तो ईश्वर के चरणों में चले जाइये. वह सही रास्ता मिल जायेगा, मन को एक अनोखी शांति की अनुभूति होगी, जिसे शब्दों में बयां करना नहीं हो सकेगा. प्रार्थना से सांसारिक समस्त चिंताओं और क्लेशो का नाश हो जाता है.मनुष्य जिस चीज की कल्पना भी नहीं कर सकता, ऐसी चीजे प्रार्थना द्वारा साध्य हो जाती है. इससे हमारी समझ में आ जाती है एक महाशक्ति है जो सर्वत्र उपस्थित रह कर सब कुछ कराती रहती है. उपनिषद में आया है, एक ही चेतन तत्व सारे ब्रम्हांड को चला रहा है. प्रार्थना द्वारा उस महाशक्ति का ज्ञान होता है. और महसूस होता रहता है की अभी और जानना जरुरी है, इसीलिए प्रार्थना एक चाबी की तरह है जो प्रभु के निकट ले जाती है. दुनिया भर के ग्रन्थ प्रार्थना के गुणगान से भरे पड़े है. पर ये अनुभव खुद ही लेने पड़ता है.
सभी धर्मो में प्रार्थना का बहुत महत्व है. प्रार्थना वह राजमार्ग है जो हमें परमपिता के और नजदीक ले जाता है. असल में हम प्रभु संतान होने के कारण, उनके प्रिय तो है पर कभी कभी हम अपने वास्तविक रूप से अलग हो जाते है. महात्मा गाँधी कहते है कि श्रद्धा से मनुष्य जो रोगमुक्त हो उसका रहस्य यही है कि ईश्वर जिसकी भक्ति हम करते है स्वय सत्य, स्वस्थ्य, और प्रेम है. और वोह तो वैद भी है, इसीलिए रामनाम का आश्रय लेने से हर प्रकार के रोग शोक के दूर होने में देर नहीं लगा हमारे दर्शन शास्त्रों , में या फिर धर्म शास्त्रों में इसके अनेक प्रमाण उपलब्ध है. अनेक रोगो का इलाज रामनाम चिकित्सा या प्रार्थना से किया गया हैँ प्रार्थना द्वारा परमात्मा के चरण कमलो में आश्रय लेने से रोग, शोक, विपत्ति , सबसे छुटकारा मिल जाता है. उस समय हमें बोध होता है जो कुछ बुरा भला हो रहा है, वह ईश्वर की इच्छा से हो रहा है. यह सारी चीजे हमारी भले के लिए हो रहा है. केवल इस प्रकार की अनुभूति से ही पूरी शांति प्राप्त हो जाती है. इसीलिए जब कभी मन उद्विग्न हो , बेचैनी हो, खुद से भरोसा उठने लगे तो ईश्वर के चरणों में चले जाइये. वह सही रास्ता मिल जायेगा, मन को एक अनोखी शांति की अनुभूति होगी, जिसे शब्दों में बयां करना नहीं हो सकेगा. प्रार्थना से सांसारिक समस्त चिंताओं और क्लेशो का नाश हो जाता है.मनुष्य जिस चीज की कल्पना भी नहीं कर सकता, ऐसी चीजे प्रार्थना द्वारा साध्य हो जाती है. इससे हमारी समझ में आ जाती है एक महाशक्ति है जो सर्वत्र उपस्थित रह कर सब कुछ कराती रहती है. उपनिषद में आया है, एक ही चेतन तत्व सारे ब्रम्हांड को चला रहा है. प्रार्थना द्वारा उस महाशक्ति का ज्ञान होता है. और महसूस होता रहता है की अभी और जानना जरुरी है, इसीलिए प्रार्थना एक चाबी की तरह है जो प्रभु के निकट ले जाती है. दुनिया भर के ग्रन्थ प्रार्थना के गुणगान से भरे पड़े है. पर ये अनुभव खुद ही लेने पड़ता है.
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