Friday 15 December 2017

pramukh chakr


  1.                                   प्रमुख   चक्र       


  इड़ा  पिंगला  एव सुषुम्न्ना  नाड़ियो   के  संगम  स्थल   को  चक्र   कहते   हैं  .  जैसा   हम  सभी जानते  है  की  मनुष्य   के  शरीर  में  बहत्तर   हजार  नाडिया   होती  है.  इनमे   प्रमुख  तीन  बहुत  ही  महत्त्व   पूर्ण  होती  है.
१   इड़ा  नाड़ी        २   पिंगला  नाड़ी       ३  सुशुम्ना   नाड़ी

इड़ा  नाड़ी    बाई  ओर   से  शुरू  होकर मेरुदंड  के  आधार  तक जाने  वाली  नाड़ी  को  इड़ा  नाड़ी  कहते  है. पिंगला  नाड़ी   दाई  और  से  शुरू होकर  मेरुदंड  तक  जाने  वाली  नाड़ी को  पिंगला  नाड़ी  कहते  हैं।
सुषुम्न्ना   नाड़ी  इड़ा,  पिंगला  के  मध्य  यह  नाड़ी  होती  है.  यह  नाड़ी मेरुदंड  के  अंत  तक  जाती  है.

स्वाधिष्ठान  चक्र   यह  चक्र  जनेंद्रिय  के  मूल  में  स्थित   है.  यह  पृथ्वि  से   सुक्ष्म  तत्व   जल  का  निवास  स्थान  है  इस  चक्र  पर  ध्यान  करने  से  यह  चक्र  जागृत  होता  है 

मणिपूरक  चक्र    इस  चक्र  का  स्थान  नाभि  में  है. यह  जल  से  सूक्ष्म   तत्व  अग्नि  का  स्थान  है.  इस   चक्र  पर  ध्यान  करने  से  ये  चक्र  जागृत  होता  है.   ऐसा  मन  जाता  है  की  यहाँ  पर  माता  सरस्वती  का  वास  होता  है.

अनाहत  चक्र  इस  चक्र  का  स्थान   हृदय  में  है.  यह  अग्नि  से  सुक्ष्म  वायु  का  स्थान  है.  इस  चक्क्र  के  जागृत  होने  से सकाम  साधक  को  भौतिक   तथा  निष्काम  साधक  को  योग  सिद्धि   प्राप्त  होती  है.

विशुद्ध  चक्र  इसका  स्थान  अन्न  प्रणाली  के  कंठ  में  है. यह  पांचो  तत्वों  में  में   सबसे  सुक्ष्म  आकाश  का  स्थान  है.

आज्ञाचक्र  इसका  स्थान  दोनों  भौहों   के  मध्य  भृकुटि  के  मध्य  है.  इस  चक्र  पर  ध्यान  लगाने  से  आत्मा  और  परमआत्मा   का मिलान  हो  जाता  है,  दोनों  एक  हो  जाते  है. 

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